About कोकिला-व्रत-कथा
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कोकिला व्रत की ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। यह दांपत्य जीवन को खुशहाल होने का वरदान प्रदान करता है। इस व्रत के द्वारा मन के अनुरूप शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शादी में आ रही किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो इस व्रत का पालन करने से विवाह सुख प्राप्त होता है। यह व्रत योग्य वर की प्राप्ति कराने में सहायक बनता है।
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यह व्रत विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्रदान करता है।
ஶ்ரீ லம்போ³த³ர ஸ்தோத்ரம் (க்ரோதா⁴ஸுர க்ருதம்)
ऐसे में जब देवी सती को इस बात का पता चलता है कि उनके पिता दक्ष ने सभी को बुलाया लेकिन अपनी पुत्री को नहीं। तब सती से यह बात सहन न हो पाई। सती ने शिव से आज्ञा मांगी कि वे भी अपने पिता के यज्ञ में जाना चाहतीं हैं। शिव ने सती से कहा कि बिना बुलाए जाना उचित नहीं होगा, फिर चाहें वह उनके पिता का घर ही क्यों न हो।
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मान्यताओं के अनुसार, अनंतकाल में एक राजा दक्ष हुए थे जिनकी पुत्री सती ने उनकी इच्छा के विपरीत भोलेनाथ को अपने पति के रूप में चुना था। एक बार अपने घर में यज्ञ का आयोजन करवाया था। इसका निमंत्रण उन्होंने सभी देवी देवताओं को दिया लेकिन देवी सती और भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया था। जब देवी सती को इस यज्ञ का पता चला तो वह भी इस यज्ञ में शामिल होने के लिए भगवान शिव से आग्रह करने लगीं। भगवान शिव ने देवी सती को समझाया कि बिना बुलाए उन्हें यज्ञ में नहीं जाना चाहिए। लेकिन देवी सती ने भगवान शिव की बात ना मानी जिस पर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।
भगवान शिव की पूजा के लिए सफेद, लाल फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूर्वा, दीपक, धूप और अष्टगंध का इस्तेमाल जरूर करें।
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